तन्हाई ना रहना चाहती तन्हा


मैं एक पराया, अजनबी जगह।
सिर पर बोझ, दिल में बजता है आह,
मैं खोजता हूँ अपना वो रास्ता,
जो अपना हो बस अपना ।(तन्हाई भी तनहा नहीं रहना चाहती है)

बेगाना सफ़र है मंजिल का नहीं पता 
ए रास्ता तू ना होना बेवफ़ा 
धूप में, चाँदनी में, भटकता हूँ,
बदन थका, मन उदास, फिर भी मुस्कान।
लोग मुस्कुराते जा रहे बेवजह।

मैं बेगाना, पर अपना हूँ यहाँ।
सुनता हूँ अपनी आवाज़, एक तनहा सफर,

मैं एक तन्हाई हूँ जो बस आँखों मैं आती हूँ 
अनोखी के अलावा दिल मैं भी आती हूँ
जब जब वफ़ा कि दीवार तूफ़ान गिराती है 

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